प्रिय सुजाण सज्जन , नमस्कार , आशा करते की आप कुशल मंगल ही होगे,लेकिन दुर्भाग्य से आस्थाप्रिय हिन्दुओकी गाय कुशल मंगल नहीं है..... गाय का प्राकृतिक घर किसान का घर है, गोशाला तो वर्तमान विकल्प है. आज गाय किसान के घर से निकल चुकी है. आप सब बेहतर जानते है की, गाय-बैल (गोवंश) की समाज में बुरी हालत है, आज सम्पूर्ण भारत में ६०,००० से अधिक गोवश की बर्बरता से कत्तल किये जाते है . इस गाय के स्तिथि के हम जवाबदार है, जैसे... १) हिन्दू समाज में गाय के प्रति आस्था कम दिखाई दे रही है, २) गाय का दूध न पसंद करना, ३) किसान को गाय के गोमूत्र-गोबर खाद -बैल का कोई मोल नहीं रहा ४),१००-१२५ सालोसे समाजने गाय के प्रजनन पर ध्यान नहीं दिया इसकारण वन्शदोश हुवा है, ५)गाय की नस्ल ख़राब होनेसे दूध कम हो गया है, ६ )किसान गाय को कसाई को बेच रहा है, ७ ) राजनेता जगह जगह कत्ताल्खाने खोल रहे है , ८ )सरकार गाय के मांस का निर्यात को बढ़ावा दे रही है, ९ ) सरकार रासायनिक खेती और यांत्रिक खेती को बढ़ावा दे रही है , १० )देसी गाय में नस्ल सुधार करने बजाय,सरकार विदेशी जर्सी प्राणी को लाकर प्रचार- प्रसार कर रही है , ११ ) गाय का मांस खानेवाले समाज को सरकार संरक्षण दे रही है, १२ )सरकार संपूर्ण गो-हत्या बंदी का कानून नहीं लागु कर रही है , १३ ) गाय के चमड़े का निर्यात को बढ़ावा दे रही है, १४) प्लास्टिक बैग के गैवापर से, गाय खा कर मर रही है. १५) गोशाला चालक धीरे धीरे गोवंश कम कर , गाय की जमीन बेचने में मदहोश है. १६) मंदिर ,धार्मिक ट्रस्ट, सामाजिक संस्था भी गो-रक्षा से भाग रहे है. ऐसे कई और भी कारण हो सकते है , हमारा ही ध्यान हटने से गाय की ऐसी दुर्दशा हुई और इन सारे करणोको हम सब जवाबदार ही है.आज भारतीय गोवंश का सम्पूर्ण नामोनिशान मिटने के कगार पे है. क्या हमारा गाय के प्रति कोई दायित्व नहीं है ? भगवन - राम,कृष्ण ,महावीर,बुद्ध के भारत की अहिंसा के धरती पर गाय बेख़ौफ़, शांति से जी नहीं सकती ? कब तक हम हाथ पे हाथ रख कर तमाशा देखेंगे ?घिन आती है , धिक्कार है ,हिन्दुओके ऐसे हिन्दुअत्व पर ? सारा हिन्दू समाज अगर जाती-समाज-पक्ष-विचारधारा को भूलकर और सघतित होकर आज भी तुरंत, समय का सही उपयोग किया जाय तो भारतीय गोवंश बचाया जा सकता है, जेनीटिक लैब तकनीक ही एकमात्र गोवंश बचाने का विकल्प बचा है .भारतीय गोवश की गुणवत्ता का महत्व के कारण ,दुनिया के कई देशो में भारतीय मूल के गोवंश ले जाकर उनका शुद्धरूप में विकास किया गया है.धीरे धीरे संकरित जर्सी में देसी का बदलाव कर और भारतीय मूल के हजारो गाय- नंदी रखकर अपने देश की धरोहर बना रहे है . और दुर्भाग्य से हम भारतीय गहरी नींद में है यह हमारी और यह हमारे देश की दुर्दशा है. हर साल आप महारास्त्र में गणेश पूजन , दुर्गा पूजन , भागवत कथा , भरे पेट वालोंको अन्नदान ,ऐसे अनेको उत्सव में १५०० से २००० करोड़ खर्चा कर आनंद लेते है. क्यों न हम थोडा धन से हर जिल्हे में गोशाला और जेनेटिक लैब का निर्माण करे, ताकि भारतीय गोवंश भी बचे और भूमि को गोबर खाद मिले, मानव को दूध का पोषक आहार और सात्विक गुण मिले , धार्मिक संस्कार-यज्ञ भी पुरे हो,नई किद्नाशक-रासायनिक खाद से उत्पन्न हुई नई बिमारिया भी न पनपे और नष्ट हो जाये और गोमूत्र की दवाई भी बने. इसी में हमारी और नई पीढ़ी की भलाई है .
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For those who can't read Hindi script like me here is a translation from Google (it's not precise and there are a few hiccups, but the general meaning can be understood)
Pronunciation (For those who can't read hindi script, but can understand hindi)